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वेदों के नाम और जानकारी Name Of Vedas in Hindi

वेदों के नाम और जानकारी Name Of Vedas in Hindi

इस लेख Name Of Vedas in Hindi में हिन्दू धर्म के वेदों के नाम (Vedo Ke Naam In Hindi) और जानकारी दी गई है। हिन्दू धर्म में चार वेदों का विशेष महत्व है। वेद सनातन हिन्दू धर्म के प्रमुख और सर्वोच्च ग्रन्थ है। वेदों में ईश्वर का ज्ञान है। धर्म को वेदों के माध्यम से बताया गया है। वेद विश्व के सबसे पुराने लिखित ग्रन्थ माने जाते है। वेद क्या है (What Is Vedas In Hindi)? और वेदों के नाम (Vedas Name In Hindi) पर जानकारी देने का प्रयास यहां पर किया गया है।


वेद क्या है और सक्षिप्त जानकारी What Is Vedas In Hindi

वेदों को श्रुति कहा जाता है। ऋषियों ने परमेश्वर से वेदों का ज्ञान सुना था। इस ज्ञान को सुनकर ऋषियों ने समय समय पर आगे दिया। यही कारण है कि वेदों को श्रुति कहा जाता है। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार वेदों में मौजूद मंत्र ईश्वर की वाणी है।

वेदों की रचना स्वयं ईश्वर के द्वारा मानी जाती है। ऋषियों ने ईश्वर का ज्ञान प्राप्त करके आगे पहुँचाया था। वेद में धर्म का ज्ञान है और ईश्वर के अस्तित्व को गहनता से समझाया गया है। वेदों में आर्युवेद, ज्ञान, ज्योतिष, भूगोल, गणित इत्यादि को बताया गया है। वेदों में हिन्दू धर्म के कई रीति रिवाजों का भी जिक्र मिलता है।

हिन्दू धर्म में वेदों की संख्या 4 है। वेदों का ज्ञान एक साथ ना आकर समय समय पर आया है। वेदों में श्लोक ऋषियों के द्वारा बताए गए थे। वेद श्रुति है जो हर समयकाल में ज्ञान के रूप में एक से दूसरे को सुनाई गई थी। हिन्दू मान्यता के मुताबिक वेदों की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के मुख से हुई है। श्रीमद्भागवत के अनुसार पहले वेदों की संख्या एक ही थी। परंतु बाद में वेद को चार भागों में बांटा गया था।

वेदों में मनुष्य के चार पुरुषार्थ बताये गए है। इन पुरुषार्थ में ब्रह्मचर्य, ग्रहस्थ, वानप्रस्थ, सन्यास आते है। इन्हें पुरुषों के जीवन की आश्रम व्यवस्था भी कहते है। वेद संस्कृत भाषा में लिपिबद्ध है।

4 वेदों के नाम Name Of Vedas In Hindi

वेद की संख्या चार है – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अर्थववेद।

1. ऋग्वेद (Rigveda)

ऋग्वेद सनातन धर्म में सबसे प्रथम और प्राचीन ग्रन्थ माना जाता है। ऋग्वेद में कुल 10 मंडल है। इसमें कुल 1028 सूक्तियां और करीब 11 हजार मंत्र है। इस वेद की पांच प्रमुख शाखा शाकल्प, शांखायन, आश्वलायन, वास्कल और मंडूकायन है। ऋग्वेद के श्लोकों को पद्य में लिखा गया है। ऋग्वेद शब्द का विच्छेद करने पर “ऋक” शब्द प्राप्त होता है। “ऋक” का अर्थ स्थिति और ज्ञान होता है। धार्मिक दृष्टि से ऋग्वेद महत्वपूर्ण है।

इस वेद की सूक्तियों में देवी देवताओं की स्तुति और प्रार्थना है। इसका अर्थ यह है कि ऋग्वेद में देवी देवताओं की उपासना है। इसमें देवलोक के बारे में भी बताया गया है। देवताओं के राजा इंद्र के बारे में भी ऋग्वेद में वर्णन है। इस वेद में सरस्वती नदी, सिंधु नदी, गंगा नदी का भी जिक्र किया गया है।

ऋग्वेद के श्लोकों में विभिन्न प्रकार की चिकित्साओं के बारे में भी बताया गया है। इनमें वायु चिकित्सा, जल चिकित्सा, हवन चिकित्सा और मानस चिकित्सा आती है। ऋग्वेद में 125 प्रकार की औषधियों का भी जिक्र है। ये 125 औषधियां 107 स्थानों पर पाए जाने का वर्णन है।

2. यजुर्वेद (Yajurveda)

यजुर्वेद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण ग्रन्थ माना जाता है। इस ग्रन्थ में यज्ञ के बारे में बताया गया है। यजुर्वेद में यज्ञ के मंत्र और विधि है। अश्वमेध, अग्निहोत्र, सोमयज्ञ, वाजपेय इत्यादि यज्ञों के बारे में वर्णन यजुर्वेद में मिलता है।

इसमें सूक्ति श्लोक गद्य के रूप में है। यजुर्वेद में अच्छे कर्म करने की शिक्षा है। इसमें आत्मा और परमात्मा का ज्ञान है। गायत्री मंत्र का वर्णन भी इस वेद में दिया गया है।

यजुर्वेद का विच्छेद करने पर “यत” और “जु” दो शब्द प्राप्त होते है। “यत” का अर्थ गतिशील होता है जबकि “जु” का अर्थ आकाश होता है। यजुर्वेद में 40 अध्याय और 3988 मंत्र है।

यजुर्वेद की दो शाखाएं है – कृष्ण और शुक्ल। कृष्ण का सबंध वैशम्पायन ऋषि से बताया गया है। शुक्ल से याज्ञवल्क्य ऋषि का संबंध है।

3. सामवेद (Samaveda)

सामवेद के श्लोक गद्य में ना होकर गीत के रूप में है। सामवेद को संगीत का जन्मदाता माना जाता है। इस ग्रन्थ में संगीत को बताया गया है। सामवेद की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके ज्यादातर मंत्र ऋग्वेद से लिये गए है। इन मंत्रों को संगीत में पिरोया गया है। चार वेदों में सामवेद सबसे छोटा वेद है।

सामवेद का विच्छेद करने पर “साम” शब्द प्राप्त होता है। “साम” का अर्थ संगीत या रूपांतरण होता है सामवेद में वीणा, नादी जैसे वाद्य यंत्रों का भी जिक्र है।

इस ग्रन्थ में करीब 1824 मंत्र है। सामवेद में इंद्रदेव और अग्निदेव को बताया गया है। इसमें कुल 75 ऋचाएं है।

4. अथर्ववेद (Atharvaveda)

इस ग्रन्थ में कुल 20 मंडल है जबकि 5687 मंत्र है। अथर्ववेद में चिकित्सा प्रदति के बारे में जानकारी दी हुई है। आर्युवेद के बारे में सर्वप्रथम जानकारी इसी वेद में है। जादू टोना और चमत्कार का जिक्र भी अर्थववेद में ही मिलता है। ऐसा माना जाता है कि ईश्वर ने इस वेद का ज्ञान सर्वप्रथम महर्षि अंगिरा को दिया था।

अथर्ववेद शब्द का विच्छेद करने पर “थर्व” और “अर्थव” शब्द प्राप्त होते है। इसमें “थर्व” का अर्थ कम्पन्न होता है जबकि “अर्थव” का अर्थ अकम्पन्न होता है।

इस लेख Name Of Vedas in Hindi में चार वेदों के नाम (Vedo Ke Naam in Hindi) और जानकारी आपको कैसी लगी। वेद क्या है (What Is Vedas In Hindi)? इस प्रश्न पर भी संक्षिप्त में चर्चा पर आपकी राय उपयोगी है। यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे Social media पर शेयर भी करे।

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